‘अस्मिता’ 2018
दक्षिण भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन
27, 28, 29 दिसंबर 2018
*सात राज्यों* – कर्णाटक, तमिलनाट, गोवा, पोंडिचेरी, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल – *के हिन्दी साहित्य प्रेमियों के मिलन का और विचार- के आदान-प्रदान का प्रथम प्रयास : ‘अस्मिता’ : दक्षिण भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन I*
आपको यह सूचित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि विकल्प तृश्शूर, कालिकट विश्वविद्यालय एवं केरल साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में 27, 28, 29 दिसंबर 2018 को दक्षिण भारतीय हिंदी साहित्य
सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। केरल के तृश्शूर के किला [KILA] में सम्मेलन संपन्न हो रहा है। दक्षिण भारत के हिंदी भाषा एवं साहित्य की गतिविधि को प्रोत्साहित करना और उसका प्रचार-प्रसार करना, साहित्यिक एवं शोध
पत्रिकाओं का प्रकाशन करना, हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के बीच के अनुवाद को प्रोत्साहित करना, राष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठी, कार्यशाला, सम्मेलन, साहित्य पुरस्कार, पुस्तक-मेला, आदरण, संस्मरण, व्याख्यान-माला, साहित्यिक
कार्यक्रम आदि का आयोजन करना, हिंदी भाषा एवं साहित्य की ई-सामग्री तथा तकनीकी हिंदी का विकास करना आदि इस सम्मेलन के उद्देश्य हैं।
दक्षिण भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन दक्षिण भारत के हिंदी प्रेमियों का प्रथम प्रयास है। इसकी सार्थकता हिंदी प्रेमियों की धन्य उपस्थिति पर निर्भर है। तृशूर केरल की सांस्कृतिक राजधानी है। यहां संपन्न होने वाले इस सम्मेलन में हम
आपका हार्दिक स्वागत करते हैं।
~ शोध आलेख के लिए आमंत्रण ~
सम्मेलन में जो व्यक्ति शोध आलेख प्रस्तुत करना चाहता है वह अपना शोध आलेख 15 सितंबर 2018 तक सम्मेलन के ईमेल
sihlcasmitha@gmail.com पर अवश्य भेज दें। शोध आलेख मंगल यूनिकोड फोंट में (12 आकार में, वर्ड फाईल में) टंकित होना चाहिए।
~ पंजीकरण ~
सम्मेलन में भागीदारी के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। 2018 अक्तूबर 1 से 31 तक पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण शुल्क निम्न प्रकार से है –
प्रतिभागी : रु. 1500/-
प्रतिभागी (शोध आलेख के साथ) : रु. 2000/-
विद्यार्थी/ शोधार्थी (प्रतिभागी या शोध आलेख के साथ) : रु. 1000/-,
पंजीकरण शुल्क के भुगतान संबन्धी सूचना बाद में दी जायेगी।
~ आवास की व्यवस्था ~
सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के आवास एवं खान-पान की व्यवस्था सम्मेलन के परिसर में की जाएगी।
~ यातायात ~
केरल की सांस्कृतिक राजधानी तृशूर (Thrissur) में यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन का स्थान किला (KILA) तृशूर शहर से 11 कि.मी. दूरी पर है। निकटतम रेलवे स्टेशन तृशूर (कोड – TCR) है। सरकारी बस
अड्डा रेलवे स्टेशन के सामने ही है। हवाई जहाज से आनेवाले प्रतिभागी कोच्चि (Kochi) हवाई अड्डे पर उतरकर तृश्शूर आ सकते है। हवाई अड्डे से किला तक 62 कि. मी. की दूरी है। कालिकट (Calicut) हवाई अड्डे से 108 कि. मी. की
दूरी है।
सम्मेलन का केन्द्र बिन्दु रहेगा हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति
सम्मेलन में जो प्रतिभागी शोध आलेख प्रस्तुत करना चाहते हैं उनके लिए निर्धारित विषय हैं :
1. वर्तमान संदर्भ में हिन्दी
2. हिंदी भाषा का वैश्विक संदर्भ
3. भारतीय परिदृश्य में हिन्दी
4. दक्षिण भारत में हिंदी भाषा का प्रचार
5. राजभाषा के रूप में हिंदी का विकास
6. तकनीकी के क्षेत्र में हिंदी भाषा की स्थिति
7. हिन्दी भाषा और मीडिया
6. पत्रकारिता में हिंदी
7. संपर्क भाषा के रूप में हिंदी
8. हिंदी भाषा का बदलता स्वरूप
9. दक्षिण भारत का हिन्दी साहित्य
10. समकालीन हिन्दी साहित्य : इतिहास, राष्ट्र, संस्कृति तथा विकास के संदर्भ में
11. भाषाई विविधता और भारत की सामासिक संस्कृति
12. तुलनात्मक साहित्य और हिन्दी
13. हिन्दी और दक्षिण भारतीय साहित्य
14. अनुवाद की चुनौतियाँ
15. साहित्यानुवाद का सांस्कृतिक महत्व
16. अनुवाद और तुलनात्मक साहित्य
17. तुलनात्मक साहित्य का महत्व
18. अनुवाद का सौंदर्य पक्ष
19. भारतीय साहत्य का हिन्दी अनुवाद।
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ASMITHA 2018 PHOTOS
http://www.sihlc2018.com
ASMITHA 2018 दक्षिण भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन- केरल
दक्षिण भारत के हिंदी
प्रेमियों का पहला प्रयास है, दक्षिण भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन , “अस्मिता 2018 I “विकल्प
त्रिशूर, कालिकट विश्वविद्यालय एवं केरल साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में 27, 28, 29 दिसंबर 2018 को सम्मेलन का आयोजन किया गया I केरल के सांस्कृतिक
नगरी त्रिशूर में यह संपन्न हुआ I कालीकट विश्वविद्यालय के
कुलपति डॉ मोहम्मद बशीर ने उद्घाटन किया I डॉ के जी प्रभाकरन के अध्यक्षता में हिंदी साहित्य के प्रमुख डॉ श्री एकांत
श्रीवास्तव द्वारा मुख्य भाषण दिया गया I श्रीलंका के केलानिया
विश्वविद्यालय के प्रो. उपुल रंजित और श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय तिरुपति के प्रो.
डॉ रामप्रकाश आदि ने आशीर्वाद भाषण दिए I केरल के महान हिंदी
लेखक, अनुवादक एवं कलाकारों का समादरण, समारोह में किए I डॉ टी एन विश्वभरन द्वारा स्वागत भाषण एवं डॉ वी के सुब्रमण्यन द्वारा
कृतज्ञता ज्ञापन भी किया गया I
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध साहित्यक आलोचक तथा दिल्ली अंबेडकर
विश्वविद्यालय के प्रो श्री गोपाल प्रधान ने कहा कि भारत की लोकप्रिय संपर्क भाषा
के रूप में हिंदी को विकसित किया जाना चाहिए I प्रो. अरविंदक्षण
ने समारोह की अध्यक्षता की I डॉ शांति और पांडिचेरी के प्रो. पद्माप्रिया द्वारा संगोष्ठी आलेख प्रस्तुत की I प्रो के के वेलायुधन ने स्वागत भाषण दिया एवं प्रो के श्रीलता ने कृतज्ञता अर्पित
किया I भाषा अधिकार राष्ट्रीयता विषय पर मुख्य भाषण
देते हुए गुजरात यूनिवर्सिटी के प्रो. ए वी रामकृष्ण ने जोर दिया कि राष्ट्रवाद का
विचार हिंदी साहित्य एवं भाषा से ही विकसित हुआ है। प्रो. एम आर राघव वारियर कालटी विश्वविद्यालय के प्रो. पी पवित्रन, केरल साहित्य
अकादमी के सचिव डॉ के पी मोहनन आदि ने शोध पत्र प्रस्तुत किए । प्रो. विशंभर के
अध्यक्षता में डॉ विजय कुमार ने स्वागत एवं डॉ ए सिंधु ने कृतज्ञता
भाषाण दिए ।
श्रीलंका
के प्रो.निलंदिनी राजपकसा के अध्यक्षता में दक्षिण भारत के 17 हिंदी पुस्तकों एवं अनूदित रचनाओं का विमोचन कार्य संपन्न हुआ। दिल्ली के अरुण
माहेश्वरी मुख्य अतिथि बने। अदिति महेश्वरी प्रोफेसर मूसा एम आदि ने भी बात की और इस
सत्र में शोध पत्रिका जन विकल्प पर्यावरण एवं साहित्य के प्रति एवं अंतरराष्ट्रीय
संगोष्ठी प्रसंस्करण आदि का विमोचन कार्य सफल बने हुए । इस के बाद विभिन्न सत्रों में 120 शोध पत्रों
का प्रस्तुतीकरण संपन्न हो गया । “ इ हिंदी” विषय पर श्री नीलम श्रीवास्तव और संदीप पाराशर ने आलेख प्रस्तुत किए । डॉ
प्रभाकरन हेब्बार इल्लत स्वागत भाषण एवं डॉ राधामणि ने धन्यवाद प्रस्ताव दीए । “संपर्क
भाषा के रूप में हिंदी का भविष्य”, के सत्र में प्रो. ऋषिकेशन तंबी अध्यक्ष बने. प्रो.
गणेश पवार, श्री राम प्रसाद, डॉ लता चौहान
और श्रीलंका के रिदमा निशादिनी ने आलेख प्रस्तुत किए श्री आंटो पी डी ने स्वागत
भाषण दिया तथा श्री वेनुगोपलन ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।
सम्मेलन के सिलसिले में हिंदी साहित्य इतिहास की
प्रदर्शनी एवं पुस्तक प्रदर्शनी भी संपन्न हुए थे। इसके अलावा विभिन्न सांस्कृतिक
कार्यक्रमों ने रंगमंच को धन्य बना दिया । मशहूर चाक्यार कूत्तु कलाकार अभिनय तिलकम
पी के जी नंबीयार ने हिंदी में चाक्यार कूत्तु की प्रस्तुति की समापन सम्मेलन का
उद्घाटन कालेटी संस्कृत विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. धर्मराज अटट ने किया। देश विदेश के विभिन्न इलाकों
से 300 से अधिक प्रतिनिधि भाग लिए । अगला सम्मेलन पांडिचेरी में प्रबंध करने का निर्णय
लिया प्रो वी जी गोपालकृष्णन ने स्वागत
भाषण दिया एवं प्रो पी रावी द्वारा कृतज्ञता ज्ञापन अर्पित किया गया I
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